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Uma Pathak

Drama Others

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Uma Pathak

Drama Others

जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी ने क्या खूब सिखाया

कभी हंसाया तो कभी रुलाया आया

बचपन में यादों को सीने से लगाया

और बड़े होकर उन्हें यादों को दूर भगाया

एक वह पल जो बिन मां बाप के ना थे

और बड़े होने पर उन्हीं को खुद से दूर भगाया

ओ सखी सहेली की पहेली

और उन पहेलियों में मिश्री घोली

स्कूल की वह बातें जो याद आती है रातें

लोगों ने क्या खूब सिखाया

कभी हंसाया तो कभी रोना सिखाया

बहता बारिश का पानी

और उस पानी में कहती हर एक नाव की कहानी

दिन दोपहर में लाइट का जाना

बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हर एक मुंह से सुनी कहानी

ना जाने कब आएंगे जिंदगी के वह पल वापस

लोगों ने सिखाई थी जो मुस्कुराहट

जीने की हर पल अनेक हैं

लेकिन अब हर कोई रहता नहीं है

जिंदगी ने क्या खूब सिखाया

कभी हंसाया तो कभी रुलाया

 माना हर एक इंसान बदला

क्या हमने कभी उन बदलते इंसानों को जीना सिखाया

 एक कोशिश तो की होती जिंदगी में

तो प्यार ही प्यार भरा होता सबके जीवन में

जिंदगी ने क्या खूब सिखाया

 कभी हंसाया तो कभी रुलाया



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