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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"पहले सोचो,फिर बोलो"

"पहले सोचो,फिर बोलो"

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पहले सोचो फिर तुम मुंह खोलो


बिना तोले तुम कभी नहीं बोलो


शस्त्र जख्म भले ही भर जाता है


वाणी जख्म कभी न भर पाता है



शब्दों से तुम तो रिश्तों को जोड़ों


शब्दों से न कि रिश्तों को तोड़ो



शब्दों से तुम हंसों चाहे रो लो


जिह्वा द्वारा मित्र या शत्रु हो लो



इन्हीं शब्दों कारण महाभारत हुई


शब्दों से कभी कोई घर नही, तोड़ो



कानों में निंदा का विष कभी न घोलो


मधुर शब्दों से कानों में अमृत घोलो



झूठे वचनों से कोई हृदय नहीं तोड़ो


सदवचनों से किसी का रास्ता खोलो



परमात्मा ने भी क्या खूब सृष्टि रची


32 दांतों के बीच इस जीभ को रची



शब्दो की कीमत समझों फिर बोलों


शब्दों से चाहे जैसे कपड़ों को ओढ़ो



फरेबी छद्म शब्दों से नाता न जोड़ों


सदा सत्य शब्दों की विजय बोलो




पहले सोचो,फिर तुम मुँह खोलो


दूसरों को सतानेवाले शब्द छोड़ो



बिना लड़े ही,सबके दिल जीत लो


अपनी जिह्वा से सदा मधुर ही बोलो





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