गीत
गीत
प्यार किया इतना तुमने कि
दर्दीले सब गीत हो गए,
जलन ना जानी तपन ना जानी,
सूने क्षण भी रात हो गए।
प्यार तुम्हारा धरोहर समझा
मन में बहुत संजोकर रखा,
बिन तेल, बाती के भी दीपक
सभी प्रज्वलित हो गए।
तेरी बात जहां भी करता
अपने में ही मैं खो जाता,
जैसे कोई प्रेम का प्यासा,
हम तो तुम में लीन हो गए।
कर ना सका उपकार कुछ दे ना
सका भरोसा अब तक,
संसार की चकाचौंध में ऐसा उलझा,
मोह- माया के चक्कर में पड़ गए।
समर्पित हो गया तुम्हारे कहने पर,
तन मन भी अर्पण कर दिया,
अर्थ को ही सब कुछ समझा,
व्यर्थ सभी प्रयत्न हो गए।
कई बार तुमसे कुछ कहना चाहा,
हिम्मत ना थी कुछ कहने की,
ना जानूँ किस कारण से,
कहने से हम मजबूर हो गए।
यह नाजुक है दिल का सौदा,
जो एक बार ही होता है,
सब कुछ है अब तुम पर निर्भर,
हम तो अब तुम्हारे हो गए।
प्रेम की भाषा तुमने सीखा कर,
सब कुछ अब मैं भूल बैठा,
पास बुला कर दूर न करना,
अब तुम ही मेरे गीत हो गए।
