सबके अपने इंकलाब
सबके अपने इंकलाब
सबके अपने-अपने इंकलाब है
सब चाहते यहां पर फूल गुलाब है
कोई नही चाहता शूलों का बाग है
सबकी अपनी पसंदीदा किताब है
कितना भी छू लो,आप आसमान है
गर बदनीयत के आप एक इंसान हो
खुदा का मिलेगा,फिर तुम्हे अजाब है
परिंदे,बनते वो ही यहां पर बाज है
जिनके इरादों में सत्य विद्यमान है
जिनके पास स्व प्रश्नों का जवाब है
वो ही शख्स हकीकत में आजाद है
सबके यहां अपने-अपने इंकलाब है
pan style="color: rgb(55, 71, 79); background-color: rgb(255, 255, 255);">पर जो खुद की खुदी का उस्ताद है
वो जिंदगी का मजा लेता सज्जाद है
वो अमावस में बने पूनम आफ़ताब है
जिसके भीतर जले ज़िंदादिल चराग है
यूँ दुनिया मे लाखो-करोड़ो इंसान है
पर उसकी अलग से होती पहचान है
जो ईमानदार व्यक्ति बेहद लाजवाब है
यह दुनिया उसे ही करती आदाब है
जो हकीकत का एक जिंदा ख्वाब है
सबके यहां अपने-अपने इंकलाब है
पर मेहनत बिना न होते कामयाब है
जो इंकलाब निःस्वार्थ, वो रहते याद है।