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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Inspirational

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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Inspirational

ए दीदी

ए दीदी

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जन्मदिन पर आपके कुछ लिखने का,

मिला मुझे आज बहाना है।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


सख्ती जो किया आपने मुझपर,

वो आज समझ में आया है।

 असल में आपकी डाटों ने ही मुझे,

इस मुकाम तक पहुंचाया है।


जहा हूं आपके वजह से हूं,

ये बात आपको बताना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


ख़्याल रखने वाला जब कोई नही,

तब ख़्याल आपका आता है।

जिन बातों पर हम लड़ते थे,

अब उनपर दिल मुस्कुराता है।


फिर से आपके मुक्कों को,

अपनी पीठ पर मुझको खाना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


आता नही मज़ा अब मुझे,

बैठकर पैर हिलाने में।

टोकने वाला जब कोई नही,

तब वो बात रही नही सीटी बजाने में।


अपनी नेचुरल नौटंकी से मुझे,

फिर से आपको सताना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


खींचने वाला जब कोई नही,

तो सख्त हो गए है मेरे कान।

Ice cream छुपकर खाने को,

जाता नहीं अब मैं दुकान।


वो tasty पाओ भाजी मेरे लिए,

फिर से आपको पकाना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


बीमार यहां पड़ा जब मैं,

आपने की सबसे ज्यादा परवाह।

ज़िंदगी के मुश्किल हालातों में,

लेता रहूंगा मैं आपसे ही सलाह।


सफ़र नया शुरू हुआ है मेरा,

रास्ता आपको ही दिखाना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


बचपन में कराया था हमसे,

जो काम आपने जबरदस्ती से।

वो काम आज काम आता है,

और ज़िंदगी कटती है मस्ती में।


सीखाया है आपने बहुत कुछ,

बहुत कुछ अभी और सीखना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


प्यार आपके लिए इस दिल में है,

शब्दों में ये झलक जाएगा।

पढ़ोगी जब इन अल्फाजों को,

तो ये याद मेरी आपको दिलाएगा।


फ़िर से आपके पैरों को,

अपने हाथों से दबाना है।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


लिखने को तो अभी बहुत कुछ है,

ए मेरी दीदी आपकी शान में।

जन्मदिन का इसे तोहफा समझ लो,

अपने छोटे भाई के नाम से।


कलम की स्याही से तुम तक,

अपने दिल की बात पहुंचाना हैं।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


जन्मदिन पर आपके कुछ लिखने का,

मिला मुझे आज बहाना है।

ए दीदी आपसे दूर जाकर,

आपकी कीमत मैंने जाना हैं।


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