आदमी बेचारा
आदमी बेचारा
जिंदगी में आदमी तब हो जाता है, बेचारा
जब अपनों के ही द्वारा जाता है, दुत्कारा
आसमां फट जाता, धरती हिल जाती है
जब अपने घर मे हो जाता कोई, पराया
जब कोई अपना देता है, दगा बहुत सारा
तब दिल टूट जाता, बनकर शीशा सितारा
जब अपना ही देता सीने में, शूल विशाला
तब उसे लगता कोई न दुनिया मे हमारा
जब अपनों के ही द्वारा जाता है, ठुकराया
तब समझ आता है, संसार स्वार्थी है, यारा
बिन मतलब यहां कोई न रिश्ता निभाता है,
सब रिश्ते स्वार्थ के कारण ही देते है, छाया
उल्टे संसारी दरख़्त की कुछ ऐसी है, माया
सब रिश्तेनाते दुनिया मे स्वार्थ के है, जाया
क्या माता-पिता, भाई, बहिन, पुत्र मित्र, दारा?
जिंदगी में आदमी तब हो जाता है, बेचारा
जब बेटों द्वारा घर से किया जाता, बेसहारा
जब बच्चे बोले, आपने क्या अहसान किया,
सब बच्चो को पढ़ाते है, ओर देते है, किराया
जब तक तू पैसा देगा, अच्छा कहेंगे भाया
पर वो आंख दिखाएंगे, जिन्हें तूने पनपाया
हर सबक जिंदगी ने दुःखो से ही समझाया
स्वार्थी दुनिया है, कोई किसी का सगा नही
दगा वो देते, जिन पर तूने विश्वास टिकाया
हम कितना सोचे, बिगड़े खेल बना-बनाया
हम पाते वही फल, जो बीज हमने उगाया
जिसदिन छायेगा मुफलिसी दौर का साया
अपने क्या, परछाई भी साथ छोड़ेगी काया
एकमात्र भक्ति का रस्ता देता है, उजियारा
छोड़ दे साखी, संसार का मोह, माया सारा
जो व्यक्ति बालाजी की भक्ति में नहाया
पार हो जाता, जग-दरिया बिना ही सहारा
जिसने बालाजी की भक्ति को अपनाया
वो न बनता है, इस जीवन मे कभी बेचारा
जले, अमावस में वो पूनम सा चांद-सितारा
जिसको मिल जाता है, बाला भक्ति सहारा।