ग़ज़ल
ग़ज़ल
कर चुके हैं तरतीबे यार पर नहीं आती
नींद भी हमे अब तो रात भर नहीं आती
रात दिन भटकती है इक़ खुशी गलीयो में
पर खुशी कभी मेरे यार घर नहीं आती
दिल नहीं लगाते तो दर्द भी नहीं होता
प्यार की मुसीबत भी मेरे सर नहीं आती
अब हवाएं आती है हर तरफ दिशाओं से
यार की कही से भी अब ख़बर नहीं आती
तुम कहो सुना दू में प्यार की कहानी को
प्यार की कहानी पर मुख़्तसर नहीं आती
हर घड़ी लहू बनकर वो रगों में बहती है
दिल जिगर में रहती है पर नज़र नहीं आती
दर बदर नहीं रहती जिंदगी हमारी भी
जिंदगी में वो मेरी यार गर नहीं आती
दर्द भी मिले इतने यार साथ जीवन मे
अब धरम कभी मेरी
आँख भर नहीं आती
धरम सिंहः भी हमे अब तो रात भर नहीं आती
रात दिन भटकती है इक़ खुशी गलीयो में
पर खुशी कभी मेरे यार घर नहीं आती
दिल नहीं लगाते तो दर्द भी नहीं होता
प्यार की मुसीबत भी मेरे सर नहीं आती
अब हवाएं आती है हर तरफ दिशाओं से
यार की कही से भी अब ख़बर नहीं आती
तुम कहो सुना दू में प्यार की कहानी को
प्यार की कहानी पर मुख़्तसर नहीं आती
हर घड़ी लहू बनकर वो रगों में बहती है
दिल जिगर में रहती है पर नज़र नहीं आती
दर बदर नहीं रहती जिंदगी हमारी भी
जिंदगी में वो मेरी यार गर नहीं आती
दर्द भी मिले इतने यार साथ जीवन में
अब धर्म कभी मेरी आँख भर नहीं आती।