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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

4  

कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

ग़ज़ल

ग़ज़ल

2 mins
307


कर चुके हैं तरतीबे यार पर नहीं आती 

नींद भी हमे अब तो रात भर नहीं आती


रात दिन भटकती है इक़ खुशी गलीयो में

पर खुशी कभी मेरे यार घर नहीं आती


दिल नहीं लगाते तो दर्द भी नहीं होता

प्यार की मुसीबत भी मेरे सर नहीं आती


अब हवाएं आती है हर तरफ दिशाओं से

यार की कही से भी अब ख़बर नहीं आती


तुम कहो सुना दू में प्यार की कहानी को

प्यार की कहानी पर मुख़्तसर नहीं आती


हर घड़ी लहू बनकर वो रगों में बहती है

दिल जिगर में रहती है पर नज़र नहीं आती 


दर बदर नहीं रहती जिंदगी हमारी भी 

जिंदगी में वो मेरी यार गर नहीं आती


 दर्द भी मिले इतने यार साथ जीवन मे

अब धरम कभी मेरी आँख भर नहीं आती

धरम सिंहः भी हमे अब तो रात भर नहीं आती


रात दिन भटकती है इक़ खुशी गलीयो में

पर खुशी कभी मेरे यार घर नहीं आती


दिल नहीं लगाते तो दर्द भी नहीं होता

प्यार की मुसीबत भी मेरे सर नहीं आती


अब हवाएं आती है हर तरफ दिशाओं से

यार की कही से भी अब ख़बर नहीं आती


तुम कहो सुना दू में प्यार की कहानी को

प्यार की कहानी पर मुख़्तसर नहीं आती


हर घड़ी लहू बनकर वो रगों में बहती है

दिल जिगर में रहती है पर नज़र नहीं आती 


दर बदर नहीं रहती जिंदगी हमारी भी 

जिंदगी में वो मेरी यार गर नहीं आती


 दर्द भी मिले इतने यार साथ जीवन में

अब धर्म कभी मेरी आँख भर नहीं आती।


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