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AMAN SINHA

Drama Inspirational

4  

AMAN SINHA

Drama Inspirational

आखिर क्यूँ ?

आखिर क्यूँ ?

2 mins
368


दिल के अंदर कुछ टूट गया अपना सा कोई रूठ गया 

लाख सम्हाला मैंने पर साथ किसी का छुट गया 

वो साथी था वो हमदम था मेरे घावों पर मरहम था 

मैं जहां गया वो वहाँ चला हमराही मेरा हरदम था 


हाव भाव से ढीला था स्वभाव से थोड़ा शर्मिला था 

आवाज़ में नरमी थी उसकी बदन से थोड़ा लचीला था

वो यार था मेरा प्यार नहीं था लोगों को एतबार नहीं 

ना जाने क्यों ऐसी बातें लोगो को होती स्वीकार नहीं 


तन से नर दिखने वाला, वो मन से पुरा नारी था

कुंठित समाज के नज़रों में तो वो पूर्ण व्यभिचारी था

ये गलती तो कुदरत की है आभा अलग काया अलग

तन से मन का है मेल नही जिस्म अलग और रूह अलग

 

खुद को नारी जानने वाला नारी पर ललचाये कैसे

मन से नर को चाहने वाला, नारी से नैन लडाये कैसे

पर यारी है सबसे अलग जिसमे लिंग का भेद नहीं

वो नर है या नारी है मन से किसी बात का खेद नहीं

 

ना जाने कैसा शोर हुआ बस यहीं नहीं हर ओर हुआ 

कमजोर सी कुछ अफवाहों पर वो घबराकर भाव विभोर हुआ 

अपनी तो यारी पक्की थी लोगों की नज़रें शक्की थी 

हम थोड़े भी तैयार ना थे उनकी तैयारी पक्की थी 

 

ढूंढा उसको पर दिखा नहीं घर गया मगर वो मिला नहीं 

संदेश भेजे कई मगर जवाब कोई भी मिला नहीं 

मैंने सोचा वो बदल गया लेकिन वो थोड़ा बादल गया 

लोगों का भरम मिटाने को लोगों के संग वो उलझ गया 


सबने हमको मजबूर किया हनें एक दूजे से दूर किया 

कोमल अपने रिश्ते को तानो से चकना चुर किया

हम एक दूसरे को भुला बैठे अपनी दुनिया जला बैठे 

कुछ जाहिलों के कारण हम अपनी यारी गवाँ बैठे।


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