तकलीफ़
तकलीफ़
जब होती है तकलीफ़,
तो लोग हमारे बीच क्यों नहीं आते हैं ।
वह क्यों कतराते हैं,
जवाब पूछो तो हंसते हैं,
और बेशर्मो की भांति कहते हैं,
उसकी तकलीफ़ में हम क्यों शहीद हो,
क्या हमारा कुछ वहां जाने से होगा ?
जो नियति में हैं वही होता है
जब लेना हो मज़ा,
जब लेना हो मज़ा,
तब दौड़े-दौड़े चले आते हैं,
तब नियति को कुछ नहीं सुनाते हैं,
अरे ! दोस्तों यह कहां का इंसाफ हैं,
ये तो सरासर बेइंसाफ है
तकलीफ़ का मजाक है
तकलीफ़ का मजाक है।।
-----------------------------------------------प्रीतम कश्यप------------------------------------------------