शक भरी जिंदगी
शक भरी जिंदगी
एक प्रेमी प्रेमिका से पूछता है
दो दिन से कहां थी तुम
तो प्रेमिका कहती है
दोस्त की शादी में थी
पर जब प्रेमिका प्रेमी से यही बात पूछती है
और प्रेमी कहता है तो
वह क्यों विश्वास कर लेती है
प्रेमी की तरह क्यों नहीं शक करती है
हाय रे जिंदगी यूं ही शक करते बीती है
तो जिंदगी को जब शक में बीतना है
तो कभी सवाल करके देखो ना
कभी नाराज़ हो कर देखो ना
कभी अच्छी सोच से भी तो देखो ना
जिंदगी खूबसूरत है उसे
अपना कर तो देखो ना
शक को मिटा कर तो देखो ना II