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Siddharth Tripathi

Drama

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Siddharth Tripathi

Drama

लॉक डाउन की सीख

लॉक डाउन की सीख

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इन कुछ दिनों ने डरा दिया,

कुछ बता दिया और कुछ समझा दिया

जिसको सबसे ऊपर रखा था हमने,

वो इतना भी ज़रूरी नहीं !


जिसके लिए ना ख़ुद रोए सिर्फ,

अपनों को भी रुलाया था

जिसका रुतबा कह कह कर

सबको सुनाया था।

वो इतना भी ज़रूरी नहीं !


कुछ दिन मिले हैं ये बताने को

कुछ समझने को और कुछ समझाने को

काम तो चलता ही है जीवन में,

मौका मिला है आज शायद

कुछ शिकवे मिटाने को।


अगर जो बच गए तो जीवन खुशियारा होगा,

बिना भ्रम के आगे हसते हुए गुज़ारा

होगा।

ना भी रहे तो क्या ही ले कर जाओगे

कुछ सपने ज़रूर रह जाएंगे

पर गिले भी तो छोड़ जाओगे।


अब विकल्प भी नहीं है रूठ कर बाहर जाने का,

कुछ भी करो घर में ही रहना पड़ेगा।

कुछ बातें कर लो मुस्कुरा के,

पता नहीं कब वापस काम पर जाना पड़ेगा।


कोई माफ़ी बची हो तो कर देना अच्छा,

कोई फिर भी बची हो तो मांग लेना अच्छा।

ये समय फिर तो नहीं आयेगा,

अब गुस्से को कहीं दूर फेंक आना ही अच्छा।


और एक बार फिर समझना ठीक होगा

कि वो सब इतना ज़रूरी भी नहीं।


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