आज़ाद रहो पर साथ रहो।
आज़ाद रहो पर साथ रहो।
बालकनी में खड़े खड़े
सुनसान रास्ते देखते हुए
खाली पार्क, खाली गालियाँ,
खाली बस स्टॉप को देखते हुए।
एक पंछी आ बैठा सामने,
देख मुझे वो उड़ा नहीं
कुछ अलग निडरता थी उसमें,
जो अपनी जगह से हिला नहीं।
पूछा मैंने कैसे हो और कौन हो,
बोला आवारा हूँ और स्वतंत्र भी हूँ।
तुम क्यों दिखे नहीं इतने दिन से ?
कहाँ हो आज कल उसने पूछा।
पता तो होगा तुमको भैया,
क्यों मुझको ताना कसते हो ?
हम ज़मीन के लोग और
तुम तो हवा में बसते हो।
एक विषाणु फैला है दुनिया में,
जो घात लगाए बैठा है,
भय है बस उसी का सबको,
तो अब हर कोई बस घर में ही बैठा है।
बोला वो हम तो हैं अज्ञानी
बस थोड़ा ही जानते ,
ढूँढना, खाना और उड़कर
घूमना है जानते।
तुमको तो शिक्षा मिली है,
सबसे लड़ने की क्षमता भी मिली है।
सब कम पड़ गया है भाई मैं बोला,
काफी बेबस हैं सभी यहां।
जो सब हल कर देते थे
वो भी अब चुप बैठे हैं यहाँ।
वो कुछ न बोला !
मैं पूछा कुछ पता है
तुमको कब तक चलेगा ये ?
कितने चढ़ावे चढ़ाए तुम सब ने, कहा वो,
भरोसा नहीं अपने ईश्वर पर ?
भरोसा है तभी बैठे हैं दोस्त,
रोज काम भी करते हैं उसी पर।
तो बस फिर क्यों सोचते हो ?
क्या बात है ? पूछा उसने।
मैं बोला एक डर है सब में
होगा ही वो तो , उसने बोला।
पर पता है हमको भगवान है सबका,
तो भय ये क्यों है सबके अंदर ?
हस दिया पक्षी और बोला,
भय को भगाने का काम नहीं उनका,
तू सोच किसके लिए डरता है ?
ख़ुद के लिए थोड़ी,
तेरे अपनों के लिए है ये डर।
हाँ बात तो सही है दोस्त, मैं पूछा।
पर क्यों है फिर भी ?
जब ईश्वर है रक्षा को ?
वो तो उनको भी था वो बोला
सोच ज़रा कहानियां तू भी,
ख़ुद के लिए कौन ही डरा था ?
मैं कुछ न बोला।
तू बता राम कब व्याकुल हुए ?
क्या ख़ुद की मृत्यु का भय था उन्हें ?
पर जब भाई मूर्छित हुआ तो,
भय ही था कि रो पड़े वो भी ?
वो तो ईश्वर थे।
जब कृष्ण जन्म हुआ मथुरा में ,
वासुदेव भी जानते थे कि
सर पे उनके विष्णु अवतार हैं,
पर जमुना के उस पार छोड़ आए,
भय ही तो था संतान का।
महादेव भी परे हैं भावनाओं से ,
कहते हो ऐसा तुम सब,
पर जब सती कूद गईं अग्नि में,
क्या वो नहीं घबराए थे ?
तो डर और चिंता तो होनी ही है तुमको,
चाहे कोई जो कुछ भी कहेगा,
पर भरोसा रखना पड़ेगा दोस्त,
जो होना है हो कर ही रहेगा।
कहा मैंने तुम्हारी तो कोई सीमा नहीं
कहीं भी उड़ों कहीं भी जाओ।
कुछ पता है क्या कब तक ये मंज़र रहेगा ?
सीमा नहीं हमारी पर रहते हैं मिल के
अकेले पंछी की परेशानी तुम नहीं जानते,
जब रात को एक खो जाता है,
क्या बीतती है सब पे तुम नहीं जानते।
हँस दिया वो फिर से।
फिर भी एक बात बताता हूँ,
ये चलेगा कुछ दिन फिर चला जाएगा,
पर किसी रूप में फिर आएगा।
जब सब सोचेंगे ठीक हो गया सब,
ये फिर आएगा।
संभल जाओ और रखना इसे याद,
समय से बड़ा कुछ भी नहीं,
हम आज़ाद हैं क्योंकि सब साथ हैं।
तुम भी हो सकते हो वैसे ही
बस अब सूख गया गला मेरा,
कुछ दाना पानी ले आओ
चलता हूँ मैं अपने घर
कभी तुम भी मेरे घर आओ।
