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Siddharth Tripathi

Inspirational Others

3.3  

Siddharth Tripathi

Inspirational Others

धूल की सच्चाई !

धूल की सच्चाई !

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कंकर कंकर पार हुये,

पत्थर जो थे लाँघ दिये,

पर्वत पीछे निकल गया,

चट्टानें भी फ़ाँद गया,

पर सच्चाई तो धूल में थी।


बीज जो था वो फ़ेंक दिया,

पौधा जो था कुचल दिया,

पेड़ बना तो जला दिया,

जंगल मैंने कटा दिया

पर सच्चाई तो धूल में थी।


धीरे धीरे उम्र बढ़ी पर,

मैं जल्दी बड़ा हुआ,

सबको छू कर निकल गया,

फिर भी शायद विफ़ल रहा,

पर सच्चाई तो धूल में थी।


बारिश से मैं बचा रहा,

महँगा पानी लिया रहा,

खर्चा वर्चा बहुत किया,

पर मन सूख़ा बना रहा,

पर सच्चाई तो धूल में थी।


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