STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

रिश्तों की पोटली

रिश्तों की पोटली

1 min
500

करते रहें प्रयास, कहीं जड़ हो ना जाए खोखली।

प्राण सरीखे रहें संभाले, रिश्तों की निज पोटली।


समय संग व्यवहार बदलता, और बदल जाते हैं

विचार।

अच्छे वक्त सभी संग रहते ,बुरे वक्त में आएं

विकार।

बुरे वक्त में साथ निभाए, श्रेष्ठ मित्र की यही

पहचान।

सात जन्म दम्पति साथ दें, सनातन धर्म की 

यह शान।

रूठना-मनाना चलता रहता,रीति अनोखी बड़ी

भली।

प्राण सरीखे रहें संभाले, रिश्तों की निज पोटली।

करते रहें प्रयास, कहीं जड़ हो ना जाए खोखली।

प्राण सरीखे रहें संभाले.....


रिश्ते कुछ होते हैं ऐसे, कुदरत जिन्हें बनाती है।

मिलकर के हॅंसना और गाना, करना प्यार

सिखाती है।

सामाजिकता का ताना-बाना, रिश्ते नए बनाता है।

कमतर न ये किसी रूप में,दृढ़ विश्वास जगाता है।

सुरभित पुष्प कुदरती रिश्ते, सामाजिक अधखिली

अली।

प्राण सरीखे रहें संभाले, रिश्तों की निज पोटली।

करते रहें प्रयास, कहीं जड़ हो ना जाए खोखली।

प्राण सरीखे रहें संभाले..


रिश्ते सदा निभाते रहना, स्वार्थ भाव को छोड़कर।

यथाशक्ति परमार्थ करे जा, मत चलना मुख

मोड़कर। 

मानवता का पथ मत तजना, लाखों गम तुम

सह लेना।

मान सदा रिश्तों का रखना, भूखे प्यासे रह लेना।

स्वार्थ सिद्धि के अपयश से,लघु जीवन -यात्रा बड़ी

भली।

प्राण सरीखे रहें संभाले, रिश्तों की निज पोटली।

करते रहें प्रयास, कहीं जड़ हो ना हो ना जाए

खोखली।

प्राण सरीखे रहें संभाले...


     

       


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational