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Aasha Nashine

Inspirational

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Aasha Nashine

Inspirational

नदी का नसीब

नदी का नसीब

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मैं हूँ तटिनी, निर्मल बहती,

भार गंदगी का मैं सहती

धर्म किया और धक्का खाया,

सारा मलमा मुझमें समाया

हर रूप मेरा है जीवन दाता, 

पर मनुष्य गंदा कर जाता।


ऊँचे ऊँचे पर्वत काटे,

चट्टानों को पीछे छोड़ा

खेतों का कल ,आज सँवारा,

कल कल बहती मेरी धारा

अद्भुत है मेरा विस्तार,

बाँटें फूल मिलें हैं खार।


युगों युगों, सागर संग रहना,

लक्ष्य मेरा है निर्झर बहना

मधुर प्रीत से गीत सजाकर

बेहद खुश हूँ खुद को मिटाकर


सागर ने कभी नहीं पुकारा,

उसे नहीं थी माँग गंवारा

क्योंकि सागर सदा विशाल,

नदियों की चाहत हर हाल

समृद्ध हुई गहराई पाकर,

विराट रूप मे खुद को मिलाकर।


करती हूँ बस इतनी विनती,

पेड़ लगाओ करो न गिनती

नदियों को न करना गंदा,

जीवन होगा सबका मंदा

पर्यावरण का रखो ख्याल,

धरा बनेगी तब खुशहाल।


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