एकता का परिणाम
एकता का परिणाम
अकेलेपन की इकाई जब,
एकता की दहाई का दामन,
थामती है तब परिणाम
एक और एक ग्यारह होते हैं ।
घृणा और बैर की भावना सदा,
संघर्ष पथ पर शूल जैसी चुभती,
संदेह और अविश्वास के अंधेरे
उन्नति पथ की पहचान खोते हैं।
अभिमान को त्याग कर चुनें यदि,
सत्य की राह, समझें एकता का महत्व,
तभी शान होते है समाज और देश की
भेदभाव छोड़ जब इंसान संगठित होते है।
सैकड़ों समस्याएँ , स्वयं घट जाती,
हजारों बुरे हालात,घुटने टेक लेते हैं,
मानव मन में एकजुट होने के भाव ही
लक्ष्य प्राप्ति में सदा सहायक होते हैं ।
कमजोर पलों में कभी धैर्य न भागे,
चुनौतियों को सदैव सहर्ष स्वीकारें,
हौंसला हो यदि हिमालय से ऊँचा तो
सुख होते हैं सौ गुना और दुख शून्य होते हैं।