मोबाइल बना मुसीबत
मोबाइल बना मुसीबत
पूरी दुनिया हुई है मॉर्डन, मैं क्यूँ पीछे जाऊँ,
चला रहे है सब ऐनड्राइट, चल मैं भी ले आऊँ,
वाट्सअप और फेसबुक लगे, सबको आज है खास-
अकाउंट बना कर अपना अब, मित्रों को भी बुलाऊँ।
चेहरा पहचाना सूची में , देख बड़ी मुस्काई,
ये तो वही सुशील था जिससे, चाही कभी सगाई,
संदेशों से भरा मैसेंजर, रोज लगी थी झड़ियाँ-
नाराज बहुत थे पति हमारे , जमकर हुई लड़ाई।
दूर के ढोल सुहाने लगते, पति मेरे गुर्राए,
बना आई डी फेक तुरत ही, चिट्ठा कच्चा लाए,
हक्का बक्का हुई मैं पढ़कर, लिखा था उसमें प्यार-
महिलाओं से करता चैटिंग, ये सब उसको भाए।
मोबाइल को फेंका और छट, पकड़े देव के पाँव,
माफी मांगी, हुई जो गल्ती, जीवन लगा था दाँव,
आभासी दुनिया है इसमें, दूरी सबसे रखना-
पार क्यों करना सीमाओं को, जलती यहाँ की छाँव।
