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निपुण नारी अवर्णित है, झुकें खुद देव भी सारे। निपुण नारी अवर्णित है, झुकें खुद देव भी सारे।
पर्यावरण का रखो ख्याल, धरा बनेगी तब खुशहाल। पर्यावरण का रखो ख्याल, धरा बनेगी तब खुशहाल।
पार क्यों करना सीमाओं को, जलती यहाँ की छाँव। पार क्यों करना सीमाओं को, जलती यहाँ की छाँव।
सुख होते हैं सौ गुना और दुख शून्य होते हैं। सुख होते हैं सौ गुना और दुख शून्य होते हैं।
कर्मों की गठरी लिए अनजान सफर में चलती जिंदगी। कर्मों की गठरी लिए अनजान सफर में चलती जिंदगी।
गुणा किया सद्भावों का फिर भी न मिला हल। गुणा किया सद्भावों का फिर भी न मिला हल।