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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

एक और एक ग्यारह

एक और एक ग्यारह

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होते ग्यारह नहीं सिर्फ दो,जब मिल जाते एक और एक

पर उपकार, सहयोग भावना, मजबूत इरादे गर हों नेक।


चार यदि निकल जाएं बारह से ,बचेगा क्या ?था यही सवाल,

"कुछ नहीं बचता"कहे बीरबल, मंत्री सब करने लगे बवाल।

बच्चा-बच्चा आठ ही जाने, बारह से चार घटाने पर हर हाल,

चार माह बिन बरसे निकलें,बारह महीनों का पड़ जाए अकाल।

जमा घटा मंत्री सब करिहैं ,कहां है बुद्धि और कहां है विवेक ?

होते ग्यारह नहीं सिर्फ दो, जब मिल जाते एक और एक।


छोड़ें कमियां और कुरीतियां, बढ़ायें हरदम सद्गुण नेक,

करें किनारा मिलें जो दुर्जन , दूरी रखें  निडरता  फेंक।

साथ करें साहसी सज्जन का, रहें बढ़ाते एक  पर एक,

होंगे ग्यारह मिलेंगे जब दो, जो हों सज्जन भाव हों नेक।

परम सत्य संगठन भाव का, कीजौ संशय कभी न नेक,

होते ग्यारह नहीं सिर्फ दो, जब मिल जाते एक और एक।


भाव नकारा जल्दी फैलें, सकारात्मक भाव को लगती देर,

झूठ नाप देता है आधी दुनिया, सच जूते पहने जितनी देर।

झूठ झूठ है और सत्य ही सच है , नहीं है दुनिया में अंधेर,

जीते धर्म सदा ही सच जग में,और झूठ- अधर्म सदा हों ढेर।

आदि समय से हुआ यही है, चाहे हों बाधाएं और कष्ट अनेक।

होते ग्यारह नहीं सिर्फ दो, जब मिल जाते एक और एक।


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