लक्ष्य को पाऊँगी
लक्ष्य को पाऊँगी
निकली हूँ एक अनजान सफ़र पर
एक नई राह, एक नई डगर पर
छोटी-छोटी इन आँखों में
कुछ सपने कुछ उम्मीदें भरकर
आसान नहीं होंगी राहें
हर कदम पर काँटें बिछे होंगे
भले कोई ना देगा साथ मेरा
सब अपने भी रूठे होंगे
पर अब ना मुझको रुकना है
न किसी के सामने झुकना है
हर बाधा से टकराऊंगी
ऐसी हिम्मत दिखलाऊंगी
कोई तोड़ सकेगा ना मुझको
बेखौफ़ हो लड़ जाऊंगी
कुछ चाहत है मेरी भी
अब पूरा उनको करना है
धैर्य से बढूँगी पग-पग पर
ना किसी से भी डरना है
जो बोलते हैं उन्हें बोलने दो
अपनी कड़वाहट घोलने दो
भले दें वो झूठे तर्क वितर्क
मुझे पड़ता नहीं रत्ती भी फ़र्क
अब ना ज़रा घबराऊँगी
अपने लक्ष्य को पाऊँगी
जो हँसते हैं मेरे हालातों पर
वो देखते ही रह जाएंगे
तारीफ़ करेंगे इक रोज वही
जब सफल हम हो जाएंगे
हर तूफान से टकराऊँगी
एक प्रेरणा दे जाऊँगी
छोटे-छोटे कदमों से ही
दूर तक निकल जाऊँगी
माना के सफर अभी नया है
पर एक दिन माहिर मैं बन जाऊँगी।