तन्हा जिंदगी
तन्हा जिंदगी
दिल की गहराइयों से
चाह था जिसे हमने
उसने समझा नहीं
मुझे कभी अपना
दिल के हाथों
मजबूर थे हम
उसने उसे मेरी
कमजोरी समझा
उम्र के उस मोड़ पर
तन्हा थी जिंदगी बहुत
दिल की धड़कनों में
वजता एक संतूर था
वक्त की बिसात पर
बिछी हुई थी जिंदगी
इश्क के इस खेल में
हारना मंजूर था।