तरसती बूँद
तरसती बूँद
तुमको जिसने भी पा लिया फिर क्या शेष रह गया बाकी
नदी जब सागर में मिल गई फिर क्या कामना उसको।
तरसती बूँद है निशदिन कि मैं सागर में मिल जाऊं
उसको मालूम है कि एक दिन मिलेगी शांती उसको।
यही दशा भी है मेरी जैसी कि तरसती बूँद की है
अगर तुम में मिल जाए परम सुख प्राप्त हो उसको।
प्रेम साधना से बढ़कर नहीं है दूसरा साधन कोई।
तुम्हीं से आस है "नीरज", न घृणा से पा सकोगे उसको।