"चाय"
"चाय"


चाय को लोगों ने यूँ ही ठुकराया
चाय ने तो रिश्तों को अपनाया
इसने जीवन के वीरान हो, चुके,
रिश्तों को मुस्कुराकर महकाया
जो टूटे थे फूलों की आहट से,
उन रिश्तों को, चाय ने बनाया
चाय रानी ने हमें यह सिखाया
प्रेम से रहो, प्रेम में कृष्ण समाया
चाय पीओ ओर पिलाओ, भाया
चाय ने तो द्वेष, ईर्ष्या को हराया
चाय ने सदा ही भाईचारा बढ़ाया
जब भी साखी होता है, अकेला
यह चाय ही बनी, मेरी इनाया
इसने एकांकी शत्रु को हराया
सदा कर्म करने, रातों को जगाया
चाय का कम मत समझो साया
चाय ने कई पत्थरों को पिघलाया
चाय ने आलस्य अंधेरे को भगाया
चाय ने अहंकारी को सदा, झुकाया
चाय ने सदा, यारों को थपथपाया
चाय से सीखों, इंसानों कुछ माया
भाईचारे ने नफरत को सदा हराया
चाय भी तो बंधुत्व का बताती वाया
छोड़ दो, बहाना खून आप पराया
वो ही चेहरा साखी खिलखिलाया
जिसने किसी का दिल न दुःखाया