"देवधणी अवतारी"
"देवधणी अवतारी"


जब पड़ा भक्तों पर संकट, बहुत भारी
लेकर देवधणी अवतार, आये गिरधारी
साडू मां की गोद से, प्रकटे, देव, अवतारी
थी, मालासेरी डूंगरी, जगह आज्ञाकारी
कमल दल बीच, आये आप भयहारी
आपको पूजती देवधणी, दुनिया सारी
गौ माता के रक्षक, आप सर्वहितकारी
देवधणी के देवरे बने हुए, कई हजारी
देवनारायण भगवान की महिमा न्यारी
जिसने रखी, देवदरबार प्रति वफादारी
वो जिंदगी, दुनिया मे, कभी नहीं हारी
1113वां जन्मोत्सव की करो, तैयारी
आ गये देव दरबार के भक्त, पुजारी
भक्तों
की टूटी किस्मत आपने सँवारी
देव, भक्तो पर खूब दिखाते, दिलदारी
देव आप करते लीलाधर की सवारी
दुनिया कहे आपको, विष्णु अवतारी
माघ शुक्ल 7 को प्रकटे, देव चमत्कारी
कलियुग में जो पूजे, देव को नर-नारी
धन-धान्य भरे रहे, उस घर-परिवारी
देवधणी शरण जाओ, छोड़ अहंकारी
जिंदगी फिर शूलों में बनेगी, सुखकारी
देव दरबार की महिमा है, बहुत प्यारी
जो पुकारे दिल से, उसकी जिंदगी सँवारी
देवधणी पर जाऊं, में बार-बार, बलिहारी
देव कृपा से चल रही साखी जीवन-गाड़ी