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Krishna Bansal

Drama Tragedy

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Krishna Bansal

Drama Tragedy

आग

आग

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आज सुबह उठते ही 

पहली खबर मिली 

बस स्टैंड के पास वाली 

झुग्गी झोपड़ियों में 

कल रात आग लग गई।

 

देखते ही देखते 

वहां लोग एकत्रित हो गए। 

दृश्य दहला देने वाला था 

सब कुछ जलकर 

स्वाहा हो गया था।


बीच-बीच में अधजला सामान ज़रूर नज़र आ रहा था 

कूलर, स्कूटी, गैस सिलेंडर या 

कुछ काले हुए बर्तन, पीपे

लोहे के ट्रंक। 


कइयों को तो एक दिन पहले ही सैलेरी मिली थी 

वह आग की लपेट में आ गई

एक लड़की के शादी का सामान जलकर राख हो गया 

साथ में उसके स्वप्न भी।

 

कुछ लेडीज़ के 

रोने और चीखने की कर्ण भेदी आवाज़ें दिल को चीर रही थीं। 

बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे।


आधी रात के समय लगी थी आग अग्नि शामक दल ने आकर 

एक घंटे के परिश्रम से बुझाई आग।


आग कैसे लगी?


हो सकता है 

किसी ने जलती हुई 

बीड़ी या सिगरेट का

टोटा गिरा दिया हो दिया 

शॉर्ट सर्किट हुआ हो। 


बातें हो रही थीं 

उस एरिया में कई बार 

अपने आप लग जाती है 

कोई यह भी कह रहा था 

किसी लड़की पर साया है 

उसी ने आग लगाई है।

 

जितने मुंह उतनी बातें।


दस बजते बजते

स्थानीय लोग

अग्नि पीड़ित लोगों के लिए 

नाश्ता लिए खड़े थे 

ब्रेड, बिस्किट, पराठा, चाय दूध।


प्रशासन को हरकत में आने में थोड़ा समय लगा 

ग्यारह बजे तक पहुंच ही गए थे

सांत्वना देने के साथ-साथ कुछ कैश हर परिवार को दिया गया।

किसी आश्रय स्थल में कुछ दिनों के लिए रहने का 

प्रबंध किया गया। 

रोटी पानी फ्री।


अब बारी थी 

नेता लोगों की।

आखिर झुग्गी झोपड़ी निवासी 

उनके वोटर थे।


एक पार्टी का नेता बोला 

मैं सरकार से कह कर 

आपके लिए पक्के मकान 

बनवा दूंगा।

दूसरी पार्टी के नेता ने

आश्वासन दिया 

मैं आपके लिए 

शामलाट जगह का 

प्रबंध करवाता हूँ, 

आप झुग्गी झोपड़ी बना लो 

आधा खर्चा मैं बर्दाश्त करूँगा।


ठेकेदार भी अपनापन जता रहे थे अपनी गुडविल बना रहे थे 

क्योंकि कल को इन्हीं से काम करवाना है।


कई एन जी ओज़ भी 

वहां पहुंच अपना परचम 

लहरा रही थी।


कोई यश कीर्ति के चक्कर में,

कोई वोटों के लिए 

कोई परलोक सुधारने के नाम पर यद्यपि बहुत कम, 

मन से सहानुभूति 

जताने वाले भी वहां मौजूद थे। 


हैरानी हो रही थी,

कैसे वे सब उन झुग्गियों की 

आग पर 

हाथ सेंक रहे थे और 

आग की राख पर 

अपने अपने स्वप्न

बुन रहे थे।



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