मुकेश अम्बानी
मुकेश अम्बानी
मेरा नाम मुकेश है।
जब से मैंने होश संभाला
और
ज़िन्दगी की थोड़ी बहुत
समझ आनी शुरु हुई,
किसी मेगज़ीन, अखबार
या टेलीविजन में
जहां कहीं भी मुकेश अम्बानी का
नाम पढ़ता, सुनता या देखता
उनकी टर्न ओवर, उनकी सम्पत्ति,
वित्तिय स्थिति, कारोबारी समझ
उनकी क्वालीफिकेशन।
पत्नी नीता अम्बानी और
उनका जीने का रॉयल तरीका
राजसी ठाठ
मन में एक ही इच्छा पैदा होती
काश! मेरा नाम मुकेश अम्बानी होता।
समझता था
अम्बानी लगते ही
कोई चमत्कार हो जाएगा
इंडिया ही नहीं
एशिया का
सबसे अमीर व्यक्ति बन जाऊंगा
विश्व रेकिंग में भी नाम कमाऊंगा।
जैसे तैसे मेरे नाम के साथ
अम्बानी लग जाए
यही इच्छा
हरदम दिमाग में
छाई रहती।
ऐसे लगता था
मानो यह सरनेम
मेरे साथ जुड़ते ही
पूरी रिलायंस इंडस्ट्री, पेट्रोकेमिकलज़, जियो
सभी मेरी झोली में आन पड़ेंगे।
स्कूल, कॉलेज चलता रहा
पढ़ाई पूरी हो गई
कई वर्षो की जद्दोजहद के उपरान्त
एक छोटी सी नौकरी मिल गई
क्लर्क की।
क्लर्क की तनख्वाह में
अम्बानी बनना तो दूर
दो जून की रोटी
चल पड़े तो गनीमत।
किसी गुजराती सहकर्मी की सलाह से
ऑफिस के बाद रेडीमेड गारमेण्टस का
काम शुरु किया।
बात बनी नहीं।
एक और दोस्त के कहने पर
लाटरी के टिकट खरीदने शुरु किए
लाटरी तो निकली नहीं
उल्टे तन्खवाह कम पड़ने लगी।
मन के किसी कोने में
एक इच्छा व आशा बनी रही
एक दिन
मुकेश अम्बानी बनने की।
कहां कहां नहीं गया
मन्दिर, मस्जिद,
गुरुद्वारा, चर्च
सिर झुकाया
माथा रगड़ा
घुटने टेकने
कुछ नहीं हुआ
समझ आ गया
अम्बानी स्तर पर
पहुंचने के लिए
कोई एक कारक नहीं होता
सैंकड़ों फैक्टर होते हैं
सबसे ऊपर
जरूरी है
सितारों और मेहनत का
संगम होना।
आखिर मुझे
एक तरकीब सूझी
मैंने एक लड़की से शादी की
जिसका नाम रीता अम्बानी है
नीता अम्बानी से मिलता जुलता।
प्राय: पत्नियां
अपने नाम के साथ जोड़ती हैं
पति का सरनेम
मैंने पत्नी का सरनेम जोड़ लिया
और मुकेश अम्बानी बन गया।
अब मैं प्रतीक्षारत हूं________।