पाक दामन
पाक दामन


जिनका नहीं होता है,दामन पाक
वही लोग करते हैं,आज ऊंची नाक
परन्तु एक दिन,हो जाएंगे वो राख
जब स्वाभिमानी दिखायेगा आंख
बन्द हो जायेगी, उनकी यह वाक
जब ईमानदार जन बोलेगा बेबाक
जो खुद नही करते है, कोई काज
वही दूसरों के काम मे लगाते, टांग
जो रखता जरूरत से ज्यादा दिमाग
वही आदमी बनता है, विषधर नाग
नाग तो एकबार डसकर जाता, थाक
ज्यादा दिमागवाला, होता ज्यादा घाक
नियमों की निशदिन लगाता है,बांग
जबकि खुद नियम रख देता है,ताक
ऐसों के दिल-दिमाग होते है,नापाक
वही करते है, फिजूल की बकवास
वही करते है, इधर-उधर तांकझांक
जिनको नहीं होता, खुद पर विश्वास
वही दूजों में कमियां निकालते, हजार
जिनमें होती है, खुद में कमियां हजार
पर तू नही घबराना,साखी ईमानदार
ईमानदार के आगे,बेईमान होते खाक
कितना छद्मवेश पहन ले गीदड़ आज
पर असली शेर के आगे रगड़ते है,नाक
उनका क्या होगा,पाक दामन साफ ?
जो सौ चूहे खा, हजयात्रा करते,आज
उन्हें क्या भला ईश्वर कर देगा, माफ ?
चेहरे पर लगाये हुए नकाब पे नकाब
ईमानदारी वो कोहिनूर हीरा है,नायाब
जिसकी कीमत होती है,अनमोल अज्ञात
वो ही आईने होते है,यहां साखी बेदाग
जिनके चरित्र मे न होता है,कोई दाग
पर वो शख्स होते है,बहुत ही ख़राब
बाह्य मीठे,अंदर ख़ंजर,रखते बेहिसाब
पर अंत मे सत्य की जमती है, धाक
चाहे झूठ के कितने दोस्त हो, आज
पर छूएगा नभ बुलंदियों को, जांबाज
क्योंकि उसके इरादे है, नेक और पाक
उसके सर पर होगा, बालाजी का हाथ
जिसका हृदय होगा गंगा जैसा पाक
बेईमानों के भीतर लगी है,कोयला राख
वो रोएंगे फिर भी न होगा,चेहरा साफ
वही होगा यहां पर बेईमानों का बाप
जिसके भीतर जल रही, ईमानदारी आग।