"जाग-मुसाफ़िर"
"जाग-मुसाफ़िर"
जाग मुसाफ़िर, हुआ सवेरा
बहुत वक्त बीत गया है, तेरा
आधा वक्त खाने में लगाया
आधा वक्त सोने में लगाया
आलस्य, सबसे बड़ा शत्रु तेरा
इसने, दिया, नाकामयाबी चेहरा
कर मेहनत इतनी तू ज़माने में,
नभ से ऊंचा हो जाये, कद तेरा
अब तो जप हरि नाम सुनहरा
अब तो आ गया, बुढ़ापा तेरा
अब तो छोड़, करना मेरा-मेरा
क्या लाया, क्या खोया है, तेरा?
यह सब तो है, संसारी, फेरा
लिया यहीं से, दिया यहीं से,
नश्वर है, पानी बुलबुला केरा
क्यों शोक करता है, गहरा
कोई भी नहीं, यहां पर तेरा
जाग मुसाफ़िर, हुआ सवेरा
सब छोड़ दे, तू जग चेहरा
मत मान, तू स्थायी बसेरा
हर शख्स को स्वार्थ ने घेरा
करता रह, तू हरि सुमरन
जब तक चले, जिस्म तेरा
सिर्फ़, हरि बनेंगे सहारा तेरा
सबके दिल में विष है, गहरा
देख ले तो मर जाये, वो सपेरा
न डर, बाला जी हरेंगे कष्ट तेरा
उनके, सिवा कोई न यहां तेरा
जपता रह, हनुमान चालीसा
करेंगे बाला जी बेड़ा पार, तेरा
जाग मुसाफ़िर, हुआ सवेरा
वक्त रहते, मिटा ले, तू अंधेरा।
