माँ की पीड़ा
माँ की पीड़ा
जिस माँ ने तुझे, नौ मास गर्भ में रखकर कष्ट उठाया।
वृद्धावस्था मैं तूने क्यों , उस माँ को है ठुकराया।
जिस माँ ने नींदें खोकर चैन से तुझे सुलाया है।
उस माँ की आँखों से तूने आंसू बहुत बहाया है।
खुद गीले में सोकर माँ ने सूखा तुझे बिछौना दिया।
माँ को अपने घर में तूने छोटा सा एक कोना दिया।
जिस माँ ने रह भूखा बचपन में तेरा पेट भराया है।
उस माँ को भूखा रखकर तूने कौन सा पुण्य कमाया है।
जिसने अपनी सारी ममता तुझ पे निस्वार्थ लुटाई है।
ऐसी ममता की मूरत की क्यों आत्मा तूने दुखायी है।
बिन माँ के न मंदिर पूजा बिन माँ के भगवान नहीं।
माँ के चरणों के जैसा जग में कोई तीर्थ स्थान नहीं।