क्या तुम चलोगे मेरे साथ
क्या तुम चलोगे मेरे साथ
क्या तुम चलोगे मेरे साथ वहाँ,
जहाँ टूटते हैं तारे रोज़ ख़ूब सारे,
टूटते तारों से मैं माँगना चाहता हूँ,
खिलौने ढेर सारे ।
रखूँगा कुछ अपने पास,
और बाँट दूँगा खिलौने बाक़ी सारे ।
क्या तुम पूछोगे नहीं,
कि है कौनसी वो जगह,
जहाँ मिलेंगे खिलौने मुफ़्त इतने सारे ।
मैं तुम्हे बता दूँगा सब सच,
और ले चलूँगा अपने साथ,
यदि आओगे तुम,
फोन अपना रख कर घर पर ।
क्या तुम चलोगे मेरे साथ,
समंदर किनारे हवा खाने,
सीपियाँ बटोरने,
और लहरों से आची-पाची करने ।
सीपियों में बंद कर,
मैं लाना चाहता हूँ,
घर अपने समंदर ।
क्या तुम पूछोगे नहीं,
कि समंदर सीपियों में समाएगा कैसे,
गूगल पर तो कोई नहीं बताता,
इस बारे में कुछ ।
मैं तुम्हे बता दूँगा ये रहस्य भी,
और ले चलूँगा अपने साथ,
यदि आओगे तुम,
फोन अपना रख कर घर पर ।
क्या तुम चलोगे मेरे साथ चाँद पर,
बना रहा हूँ मैं एक सीढ़ी,
जो ले जाएगी हमें सीधे वहाँ ।
सुना है चाँद से दिखती है ज़मीन,
बहुत ही हसीन ।
क्या तुम पूछोगे नहीं,
कि सीढ़ी से क्यों,
अंतरिक्ष यान से क्यों नहीं जाएँ हम ।
मैं तुम्हे बता दूँगा सब सच,
और सिखा दूँगा सीढ़ी बनाने का हुनर भी,
यदि आओगे तुम,
फोन अपना रख कर घर पर ।
क्या तुम चलोगे मेरे साथ वहाँ,
जहाँ कैद हैं ख़्वाब और ख़्वाहिशें,
ऊँची दीवारों से टकराकर,
वापस लौट जाती हैं जहाँ,
इंक़लाब की आवाज़ें ।
चुपके से जाके वहाँ,
दीवारों पे, खिड़कियाँ टाँग,
लौट आएँगे वापस यहाँ ।
क्या तुम पूछोगे नहीं,
कि कौन रहता है वहाँ,
और किसने बनाई ये दीवारें ।
मैं तुम्हे बता दूँगा सब सच,
और ले चलूँगा अपने साथ,
यदि आओगे तुम,
फोन अपना रख कर घर पर ।