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Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Tragedy Fantasy

4.5  

Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Tragedy Fantasy

अरुणोदय गीत

अरुणोदय गीत

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तिमिर निशा का ढ़लने दो,

ऊषा ने गीत सजाया है।।


चांद-सितारों के टिम-टिम से

मूंद रहीं आंखें थीं कलियां

सुप्त हुईं जो चंचल गलियां

छींगुर ने मीठे क्रन्दन से

भ्रमरों को पुनः जगाया है।


खग-मृग के मधुरिम कलरव,

शीतल-शीतल शोर पवन के

गुंजित हैं कोने हर मन के

मद्धम किरणों की लाली से

सूरज ने ओज बिछाया है।


खिले पुष्प हैं उपवन-उपवन

श्वेत-श्यामला तितली का गुंजन

नदियों में रमणीय चित्रांचल

तरुओं ने अद्भुत छाया से

मन-हरणी‌ दृश्य पिरोया है।


तुलसी,बेल,धरा को धोती

गिर रहे बादलों से मोती

हैं माटी में घुलते -मिलते

संग लहरों के बहते-बहते

मिल सागर को चमकाया है।

ऊषा ने गीत सजाया है।।


तिमिर निशा का ढ़लने दो

ऊषा ने गीत सजाया है।।


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