STORYMIRROR

Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Tragedy Fantasy

4  

Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Tragedy Fantasy

अरुणोदय गीत

अरुणोदय गीत

1 min
350

तिमिर निशा का ढ़लने दो,

ऊषा ने गीत सजाया है।।


चांद-सितारों के टिम-टिम से

मूंद रहीं आंखें थीं कलियां

सुप्त हुईं जो चंचल गलियां

छींगुर ने मीठे क्रन्दन से

भ्रमरों को पुनः जगाया है।


खग-मृग के मधुरिम कलरव,

शीतल-शीतल शोर पवन के

गुंजित हैं कोने हर मन के

मद्धम किरणों की लाली से

सूरज ने ओज बिछाया है।


खिले पुष्प हैं उपवन-उपवन

श्वेत-श्यामला तितली का गुंजन

नदियों में रमणीय चित्रांचल

तरुओं ने अद्भुत छाया से

मन-हरणी‌ दृश्य पिरोया है।


तुलसी,बेल,धरा को धोती

गिर रहे बादलों से मोती

हैं माटी में घुलते -मिलते

संग लहरों के बहते-बहते

मिल सागर को चमकाया है।

ऊषा ने गीत सजाया है।।


तिमिर निशा का ढ़लने दो

ऊषा ने गीत सजाया है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract