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Anuradha अवनि✍️✨

Inspirational

4  

Anuradha अवनि✍️✨

Inspirational

देशप्रेम

देशप्रेम

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इंकलाब की आवाज से

थरथराता जहान है।

तू धीर वीर है देश का

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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इस सारगर्भित संसार में

धरा की गर्भ से जन्मा है तू,

तू ऋणी इस वसुंधरा का

कर्ज को चुका ज़रा

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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सरहदें परिवार हैं

चांद को भुवन बना

गाड़ झंडा देश का

आसमां कदमों में झुका।

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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सौन्दर्य से परिपूर्ण मन

मौत को माला बना

कर रोम रोम सृजित तू

धरा को लहू से सजा

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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मां भारती का रुदन

चीर दे सीना मेरा-तेरा

हुंकार भर हौसलों से

उड़ान मन की गर्जना

है आवाज हर जवां का

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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 दर्द झेलती मां भारती

पुत्रों को फिर भी पालती

नि:स्वार्थ करूणा बांटती

वसुंधरा तुमसे कह रही

नि:स्वार्थ फर्ज कर अदा।

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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गूंजती नाद वीरता की,

चीरती आकाश को,

धरा जगी झूम उठी,

चिल्ला उठी वीरानियां 

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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कर तू अपना साधकर

सीना तू अपना तानकर

बढ़ता रहे सम बहती नदी,

कह रही बहती हवा

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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मरना यहां जीना यहां

सरहदें जागीर हैं।

अब न लुटे गैरों के हाथ।

सफ़र मुश्किलों से था भरा

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!

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इंकलाब की आवाज से

थरथराता जहान है

तू धीर वीर देश का।

बढ़ा कदम बढ़ा कदम!!



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