कृष्ण प्रेम
कृष्ण प्रेम
कृष्ण प्रति।
मीरा भक्ति।
धर धीरा।
नाची मीरा।।
कृष्णा प्यारा।
जग सारा।
प्यारी लीला।
करे ग्वाला।।
राधा प्यारी।
है दुलारी।
कान्हा नाम।
चारों धाम।।
श्याम रंग।
राधा संग।
राधा डोर।
कृष्ण ओर।।
प्रीत तेरी।
जीत मेरी।
हे! केशव।
हे! माधव।।
तुम नीति।
मैं अनीति।
तुम धर्म।
मैं अधर्म।।
आदर्श तू।
संघर्ष तू।
मैं अज्ञान।
तू विज्ञान ।।
कृष्ण राग।
शेष नाग।
मन हारी।
गिर धारी।।
प्रीत हम।
मीत तुम।
मोर मौरी।
माथे धरी।।
राधा रानी।
है दीवानी।
तुम
न्यारी।
कृष्ण प्यारी।
तुम बोध।
मैं अबोध।
तू सलिल।
मैं अनिल।।
गिरि-धर।
बंशी-धर।
तू सृजित ।
मैं वर्जित।।
राधा रीति।
प्रेम प्रीति।
मैं अज्ञानी।
श्याम ज्ञानी।।
कंस हर्ता।
कष्ट हर्ता।
श्याम सारे।
काज न्यारे।।
मीरा भक्ति।
श्याम शक्ति।
राधा प्रीत।
कान्हा जीत।।
प्रसार तू।
संक्षेप तू।
मेरा अंत।
तू अनंत।।
बंसी धुन।
राधा सुन।
है मगन।
खोए मन।।
कान्हा तेरी।
प्रीत मेरी।
मीरा, राधा ।
धार छ्न्द: -
..........समतुकान्त
चार पंक्तियां:-- दो-दो शब्द
....प्रति पंक्ति चार वर्ण।