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Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Fantasy Inspirational

4  

Anuradha अवनि✍️✨

Abstract Fantasy Inspirational

वीर सिपाही

वीर सिपाही

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हे ! सरहद पर मिटने वाले

खुशियां अपनी तजने वाले।

है ! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

 मिट्टी के तुम साधु-सन्त

तुम ही वीर निपुण, प्रवीण, कौशल, सुजान

हृदय प्रकाशित तेज़ प्रकाश,

गोधूलि का तम हरने वाले।

है! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।


साहस, शौर्य, पुण्य, प्रताप तुम्हीं से,

प्रज्वलित अग्नि सा तेज़ अनंत,

 न जाति- धर्म में बंधने वाले।

दुश्मन का सर हरने वाले।

है !शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

सोने-चांदी सा प्रेम करें,

मिट्टी से ही श्रृंगार करें,

ऋणी तुम्हारा जन- जन है,

गुणगान वतन का करने वाले।

है! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

 

जज्बा अप्रतिम प्रस्तर सा हौसला,

स्वर्ण से भी हो नाजुक तुम,

सूर्य-शशि में वो तेज़ कहां,

जितना परिदृश्य तुममें प्रकाश,

राष्ट्र तुम्हारे रग-रग में,

प्राणों की आहुति देने वाले।

है! शत् शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

है जना तुम्हें जिस जननी ने,

गौरवान्वित है भारत माता,

ग्रास है देश-प्रेम जिनका,

मुल्क गर्द में चलने वाले।

है! शत्-शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।


राष्ट्र जिन्हें प्राणों से प्यारा,

है त्याग, तपस्या, पूजा, अर्चना

मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा भी

गौरव से जीवन जीने वाले।

है! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

धरणी के कृष्ण-राम सम,

अर्जुन और द्रोण तुम्हीं,

तुम ही जीवनदाता हो,

कर्ण सा दानी बनने वाले।

है! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।

हे! सरहद पर मिटने वाले,

खुशियां अपनी तजने वाले।

है! शत्- शत् बारम्बार प्रणाम तुम्हें।।


जना :-- पैदा करना

धरणी :- पृथ्वी ,धरा 

 



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