मेरी प्यारी हिंदी!
मेरी प्यारी हिंदी!
सोचा आज तुझसे कुछ बात करूँ, ख़त लिखूँ तुझे याद करूँ।
ख़ैरियत पुछूं तुझे नमस्कार करूँ।
तू फैली है ऐसे हृदयाकाश में,
विचारों में तू हर ज़ुबान में।
दुल्हन की हया में तू, हिरणी सी सम्मोहिनी।
रानी की हुंकार में तू, शिवाजी सी अभिमानी।
मेरी प्यारी हिंदी, मेरी प्यारी हिंदी।
तू ही तो उन्माद शायरी अपनी,
दिल की डायरी अपनी।
तूने ही तो अंजानों से रिश्ता बुना,
इक हितैषी सी माँ।
हिय की उदासी में, कवि वर के हास में तू।
कोकिल की कुहू में, नद के हिलकोर में तू।
भानु की लालिमा में, रजनी की ज्योत्स्ना में तू।
परमेश्वर की पुकार में, ईश के विश्वास में तू।
कवियों को मधु देने वाली अप्सरा अनूठी।
मेरी प्यारी हिंदी , मेरी प्यारी हिंदी।
बता ज़रा मिज़ाज अपना, हे! तपस्विनी हे प्रियतमा।
कुछ तमस् तेरे मार्ग में भरा,
अपनों से क्यों तुझे क्यों तुझे ख़तरा।
पर तू तो है हेली-मेली अपनी,
प्यारी सी सखी-सहेली अपनी।
भारत की भगिनी, हिंदवी बोली तू,
प्रसून की सुरभि प्रेम की भाषा तू,
हर जी की अभिलाषा तू ।
मेरी प्यारी हिंदी, मेरी प्यारी हिंदी।
