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Phool Singh

Romance Fantasy

4  

Phool Singh

Romance Fantasy

जीवन संगिनी

जीवन संगिनी

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हार-हार का टूट चुका जब

तुमसे ही आशा बाँधी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है

मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं

मोह माया में चूर नहीं मैं

साथ तुम्हारा मिल जाए तो

लक्ष्य से भी दूर नहीं मैं 

सुख दुःख की घटना तो

जीवन में घटती रहती है

छोटी-छोटी नोक झोंक भी

हर रिश्ते में चलती रहती है 

छोड़ न देना साथ निभाना

तुमसे, प्रेम की डोर जो बाँधी है

गलत किये थे कुछ निर्णय

बात सभी स्वीकारी है

मैं गलत और तुम सही

गलती मैंने मानी है

मझधार में फंसीं जिंदगी की

नैया पार लगानी है

जीवन संगिनी बनकर,

मेरी जिंदगी, सँवारी है

घर नहीं मेरे दिल में रहना

बस ख़्वाहिश ये हमारी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है।।


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