फुरसत
फुरसत
अभी फुरसत नहीं कुछ और सोचने की
व्यस्त हूँ मैं तुम्हारी यादों में।
तन्हा हूँ, दिल बेकरार है
तुम्हारे सिवा न किसी का इंतज़ार है।
अजब सी कशमकश में उलझी है जिंदगी
घायल हुआ एक दीदार में
अभी फुरसत नहीं कुछ और देखने की
देखता हूँ बस तुम्हें सपनों में
न नींद आती है रातों को मुझे
न चैन दिल का मंज़ूर मुझे
एक बार जो चल दो साथ मेरे तुम
डाल हाथों को हाथ में।
अभी कहीं जाने की फुरसत नहीं
मुझे बैठना तुम्हारे पहलुओं में।

