कुंवारा इश्क
कुंवारा इश्क
ठीक ही कहा है किसी आशिक ने
प्यार मोहब्बत की रस्म निभाने के लिए
दौलत शोहरत की नहीं
किसी को समझने की ज़रूरत है
इश्क मोहब्बत की बातें करते तो सब हैं
पर कितने हैं जो समझते हैं
दिल की भाषा, दिल के जज़्बात
शायद इसीलिए इश्क की दुनिया में
हम आज भी कुंवारे हैं
या वह समझ न पाई इस दिल की बात
या फिर हम ही उतर न पाए
उनकी मौन खामोशी की गहराइयों में
कुछ कम तो हम भी नहीं
जम कर बैठे हैं दरिया किनारे
कभी तो लहर आयेगी
बहा कर ले जायेगी जो उनकी चौखट तक।