कमी नहीं दोस्तों दुश्मनों की
कमी नहीं दोस्तों दुश्मनों की


एक मौसम आता है एक चला जाता है
जब वक्त के साथ लोग बदल जाते हैं तो
जीना मुश्किल हो जाता है।
उसको सवाल करना बड़ा अच्छा लगता था
और हम हर सवाल का जवाब
उसको बड़ी शिद्दत से दे दिया करते थे।
अब खामोश रहना उसकी आदत बन गयी है
तो उसकी खामोशियों को
पढ़ना मेरी आदत बन गयी है।
वो हमसे कोई सवाल तो नहीं करता अब
पर उसकी हर खामोशी का जवाब है मेरे पास
ना ही हम डरते हैं ना ही घबराते हैं।
अपने गर बेगाने हो भी गए हैं तो गम नहीं
लोग कहते हैं हमसे की
तुम्हारे चाहने वाले हज़ारों है।
वो क्या जाने की ना ही दोस्तों
की कमी है और ना ही दुश्मनों की
हिसाब हर चीज़ का बराबर है मेरी तकदीर में।
समझ में नहीं आता कि वो हमसे क्या चाहता है
दूर जो हो जाते हैं उससे तो नाराज़ वो हो जाता है
करीब जो होते हैं उसके तो दूरियां क्यों बनाता है।