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Sambardhana Dikshit

Tragedy Action

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Sambardhana Dikshit

Tragedy Action

खुदकुशी

खुदकुशी

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खुश तो था वह अपनी जिंदगी से

फिर क्या शिकवा थी उसे बंदगी से

क्या सच में खुश था या दिखाता था

शायद ख़ुशी के पीछे गम छुपाता था

बात तो करता था मगर खुद से

हां मगर खामोश भी था खुद से

उसकी ख़ामोशी अवसाद की वजह होती थी

और हमें खामोशी में उसकी सादगी नज़र आती थी

काश उसकी खामोशी को समझे होते

तो शायद आज वह हमें सारी बातें बताते होते

वह अपनों की संगत में रहकर भी दूर था

वह पास पहुंच कर भी कहीं भटकता दूर था

ऐसी क्या बात थी जो वह हमीं से छुपाता था

आखिर क्यों अकेले ही सारे गम झेलता था

आज वह बहुत दूर होकर भी पास है

हमें उसके लौट आने और बात करने की आस है

तू पास होता तो तेरे गम बांटते

एक बार कहता तो खुशियां छांटते 

खुदकुशी का मज़ा तुझे शायद मिल गया

तेरी जुदाई का गम हमें सज़ा दे गया

बहुत कुछ छुपाकर भी बहुत कुछ दिखा गया

हमेशा अपनों से हर चीज़ बांटो यह सिखा गया

अब खुद से है वादा कि अपनों को हर बात बताऊंगी

जिंदगी लाख वजह दे मरने की, एक वजह ढूंढ मैं जीऊंगी..


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