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Alpana Harsh

Drama

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Alpana Harsh

Drama

खोज

खोज

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एक रोज खोज रही थी

खुद को पाया, कभी तुम्हारे कांधे के नीचे

तुम्हारे सिर को दिये सहारा


तो कभी पाया खुद को

खूँटी की जगह

जहाँ उतार दिया करते हो

तुम उलझनें अपनी शर्ट के साथ


तो कभी चद्दर की सिलवटों में

तुम्हारे साथ रहने का सुख लिये


कभी आँगन के पायदान में

पोंछते हुये तुम्हारे पाँवों की धूल को


कभी रोटी की सौंधी खुशबू में

जिसे खाकर आत्मा

तृप्त हो जाती है तुम्हारी


कभी तकिये में छिपी हुई

तुम्हारे सिर को संभाले हुए


सुनो ना

मुझे पता है कि

तुम जानते हो


मैं हर क्षण

तुम्हारे लिये ही जीती रही हूँ

तभी तुम हर अहसास को

शिद्दत से निभाते हो


खुद को मेरे हवाले कर

चैन की नींद सो जाते हो

उन चद्दरों की सिलवटें

गवाह है इसकी।


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