अब न कृष्ण आयेंगे
अब न कृष्ण आयेंगे
उठो और शस्त्र उठाओ
आंसू पोछो हो चुका अब
द्रोपदी की तरह चीर हरण
वक्त आंसू बहाने का नहीं
तुम्हे खुद बनना है कृष्ण
अब किसी द्रोपदी का
अर्जुन सी आँख रखो
बलशाली बनो भीम से
भूला धर्म अर्धम को
फिर किसी द्रोपदी को बचाने
तुम्हे खुद बनना है कृष्ण
अब किसी द्रोपदी का
ले चलु हथेली में
खाओ कसम दुष्ट को मार गिराने की
चुल्लु भर पानी में डूब मराने की
मत बनो कमजोर अबला
मत कहाओ बेसहारा
बनो फिर सहारा
तुम्हे खुद बनना है कृष्ण
फिर किसी द्रोपदी का
दो आत्मरक्षा का गुर
अपनी बेटियों को
तौड़ने को पैर दुस्साहसियों के
दो लाठी और उन्हें बताओ
तुम्हें खुद बनना है कृष्ण
फिर किसी द्रोपदी का।
