जिन्दगी कहीं ...
जिन्दगी कहीं ...
जिन्दगी कुछ यूं ही
न बीत जाये
एक दिन अचानक मौत
हमसे न जीत जाये ।
उठ कुछ जिन्दादिली दिखा
सारे सपने पीछे न छूट जाये ।
बदल रही है पल-पल
उम्र की तश्नगी
आ जी लें हम
पलछिन्न कुछ घडि़याँ
जिन्दगी कुछ यूं ही बीत जाये ।
है सफर में कई टेढे़ - मेढे़ मोड़
बचपन से जवानी तक की होड़ कई
कुछ बाकि न रहे
न कुछ छूट जाये
कुछ तू बीता
कुछ मैं बिताऊँ
ये उम्र जिन्दगी का रास्ता न भूल जाये
जी लूं सारे रंग
इस एक जिन्दगी में
उम्र कहीं यूं ही
रूसवा न कर जाये
कहीं जिन्दगी यूं ही न बीत जाये ।
लगी है तमाम बन्दिशें
ख्वाहिशों के साये पर
तमन्नाओं का एक पौधा कहीं
सूख न जाये
दे सुख के अहसासों को
नया सफर
दुख से न डर
सुख में न इतरा
बस जी ले जिन्दगी को
बना नये कुछ रास्ते
जिन्दगी कहीं यूं ही न बीत जाये ।
