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Alpana Harsh

Abstract

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Alpana Harsh

Abstract

मैं अब मैं नहीं

मैं अब मैं नहीं

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हाँ अब बदल गई हूँ मैं

मैं अब मैं नहीं पहले सी

अब बोलने लगी हूँ 

तुम्हारे सवालों के जवाब में

तुम्हारी ही भाषा

तुम्हारी ही तरह।


हाँ मैं अब मैं नहीं

नहीं रोती अकेले में बैठकर

नहीं सोचती अब ज्यादा 

जीने लगी हूँ अब

मैं खुद के लिये।


मैं अब मैं नहीं 

सजती हूँ संवरती हूँ 

फिर से खिलखिलाती हूँ 

बचपन सी 

उम्र को दे पटकनी 

चालीस के बाद भी।


हाँ अब मैं 

पहले सी मैं नहीं 

जीना चाहती हूँ 

खुद के लिये 

हर रोज नयी 

इबारतें लिखती हूँ 

अपने लिये।


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