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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Fantasy

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Fantasy

कभी जो रूठ जाऊँ मैं

कभी जो रूठ जाऊँ मैं

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कभी जो रूठ जाऊँ मैं... 

तो हंसकर तुम मना लेना, 

बहुत कठिन नहीं होगा... 

मुझे अपना तुम्हें कहना...!! 


आंखों की तलब पढ़ लो... 

हमें आंखों में जरा भर लो, 

मुश्किल बहुत नहीं होगा.... 

आंखों में अपना चेहरा तुम्हें पढ़ना...!! 


कभी जो रूठ जाए हम.... 

तो हंसकर तुम मना लेना, 

बहुत कठिन नहीं होगा... 

मुझे अपना तुम्हें कहना...!! 


धड़कनों की जुबानी सुन... 

मेरी अपनी बीती कहानी सुन, 

तुझे आसान लगने लगेगा तब... 

मेरी रूह को अपने रूह में मिला लेना..!! 


कभी जो रूठ जाऊं मैं.... 

मुझे तुम हंसकर मना लेना, 

बहुत कठिन नहीं होगा.... 

मुझे अपना तुम्हें कहना...!! 


मुझसे तुम को शिकायत हो... 

तो हंसकर तुम गिला करना, 

बहुत मुश्किल नहीं होगा.... 

मुझको हंसकर गले अपने लगा लेना...!! 


कभी जो रूठ जाऊं मैं... 

मुझे तुम हंसकर मना लेना, 

बहुत कठिन नहीं होगा.... 

मुझे अपना तुम्हें कहना..!! 


अगर लगने लगे राहें जुदा तुमको

थामना हाथ तब मेरा, 

बहुत आसान लगने लगेगा... 

फासला तब तुम मिटा लेना..!! 



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