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Neha Pandey

Drama

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Neha Pandey

Drama

जीवन-कोरा काग़ज

जीवन-कोरा काग़ज

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जीवन है एक कोरा कागज़ 

मैं इसकी क़लम बन जाऊं,

अल्फाज़ों की स्याही से 

हर रोज़ नया 

अफ़साना लिख जाऊँ।


जिंदगी अगर कविता है तो

मैं इसकी पंक्ति बन जाऊं,

वो बात जो दिल तक पहुँचे 

ऐसी एक ग़जल बन जाऊं।


जीवन अगर कहानी है तो

मैं उसका आशय बन जाऊं,

कल्पना की सागर से 

शब्दों के मोती चुन लाऊँ।


जिंदगी तेरे पन्नों में

मैं कुछ लकीरें बन जाऊं,

बिखरे-बिखरे जज्बातों की

एक सुलझी माला बन जाऊं।


जीवन है एक कोरा कागज़ 

मैं इसकी क़लम बन जाऊं,

अल्फाज़ों की स्याही से 

हर रोज़ नया

अफ़साना लिख जाऊँ।


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