होली बरसात
होली बरसात
रंगों का त्योहार है जो अब तक मन वहाँ पहुँच पाया
था इंतज़ार अब तक जिसका जैसे पैदल चलकर आया
रेस लगी थी कब से इसकी सब निकल गये ये बाद आया
नज़रें थी बिकल थी खोज़ में वो मेरी वर्षा की पिचकारी कहाँ
वो लाल गुलाल अबीर कहाँ मन में हर्षा की है बारी जहाँ
आखिर मित्रों की टोली का मन लिस्ट भी एक बना डाली
होगी शुरुआत कहाँ से वो रंग मन ही मन तन रंग डाली
बादल का होगा रंग कौन बरसात का होगा ढंग कौन
पिचकारी बन बादल वर्षा होगी ये रचना कर डाली
बरसात धड़ाधड़ ऊपर से नीचे से अबीर प्यार वाली
टोली होली की मस्ती में ना देखे सड़क और नाली
सब लोग घूमते घर घर में मिल रहे लाल लग लग के गले
खुशियों के देखे रूप कई भर आती घर घर से थाली।
