मोहब्बत
मोहब्बत
करोगी मोहब्बत तो घर भी छोड़ना पड़ेगा
तुम्हारे साथ ये शहर भी छोड़ना होगा
टूट जायेगा फिर घर वालों से रिश्ता
माँ के हाथों के निवालों से रिश्ता
अंजान शहर में ये मुकाम भी मर जायेगा
भूख लगेगी तो प्यार भी मर जायेगा
बुलायेंगे घर वाले तो घर लौट जाओगी
हमें ठुकराकर अपने शहर लौट जाओगी
हम पर आएगा तुझे बहकाने का इलज़ाम
लड़की पर नहीं आता भागने का इलज़ाम
फंस जायेंगे फिर हम ज़माने के चक्कर में
जवानी निकल जाएगी थाने के चक्कर में
अपने बयान से फिर तू पलट जाएगी
मेरी ज़िन्दगी जेल में कट जाएगी
उम्र गुजरे जेल मैं ऐसी नौबत ही क्यों आये
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये।
