फौजी सैनिक
फौजी सैनिक
तड़पती धूप में मुस्कुराते हैं हम,
प्रेमिका की याद में गुनगुनाते हैं हम,
माँ का आशीर्वाद, पिता का प्यार याद आता है,
लेकिन मातृभूमि की सेवा में झुक जाते हैं हम।
धक्के खाते-खाते गिरते चलते जाते हैं हम,
बजन ढोते-ढोते तंग हो जाते हैं हम,
सीनियर का आदेश, गीता का सार याद आता है,
लेकिन मातृभूमि की सेवा में झुक जाते हैं हम।
बन्द मुह खुले कान से गम सह जाते हैं हम,
चाहे जैसा हो भोजन पचा जाते हैं हम,
साथी का प्यार, अपनो का दुख याद आता है,
लेकिन मातृभूमि की सेवा में झुक जाते हैं हम।
टेंशन करते-करते पेंशन ले जाते हैं हम,
हर कोई काम हो वर्किंग समझ करते जाते हैं हम,
वर्दी की इज्जत, बच्चों का भविष्य याद आता है,
लेकिन मातृभूमि की सेवा में झुक जाते हैं हम।