हे-सुभगे
हे-सुभगे
हे प्रिये तुम हो सुभगे
एक जवान की जो
पहले जीता है देश की खातिर
फिर जीता है परिवार की खातिर
हम -तुम दोनों ही हैं सैनिक
अपनी अपनी सीमा के
जाते जाते गले मिले हम तुम
पाकर इक अहसास प्यार का
हँस कर विदा करो तुम सुभगे
चलते हैं हम फर्ज निभाने को
सौंप कर जिम्मेदारी इस घर की..प्रिये
आऊँगा मैं लौट कर इक दिन
बाट जोहना इस देहरी पर तुम
फिर होगा मिलन हमारा तुम्हारा
इसमें या फिर तिरंगे में
तुम हो सुभगे एक जवान की।